दरअसल पिछले चार सौ सालों से चली आ रही परंपरा के अनुसार यहां होली गोली बारूद से खेली जाती है. मनेर इलाके के लोग होली के तीन दिन बाद दिन पारंपरिक वेशभूषा में आधी रात को गांव की चौपाल पर इकट्ठा होते हैं. यहीं से जमकर गोलीबारी की जाती है. हालांकि होली का ये तरीका देखकर दीवाली जैसा नजारा सामने आता है.
मनेर गांव की होली सिर्फ गांववालों के लिए ही नहीं बल्कि दूसरे लोगों के लिए भी खास होती है. आसपास से इलाकों से भी लोग यहां होली के मौके पर आते हैं. साथ ही विदेशी पर्यटक भी मेनार की होली देखने पहुंचते हैं.
राजपूत करनी सेना के प्रदेशाध्यक्ष महिपाल सिंह मकराना ने बताया कि वे लोग जयपुर से आये हैं. मेनार के लोगो ने उन्हें आमंत्रित किया है. ये लोग पिछले 400 सालों से इस परम्परा को निभा रहे हैं.